भारत की जलवायु: भारत की जलवायु मे अनेक तरीके की विविधता पाई जाती है हर तरीके की भू-आकृति यहां पर देखी जा सकती है जैसे पहाड़ पठार पर्वत मैदान नदियां पश्चिमी घाट पूर्वी घाट थार का रेगिस्तान आदि शामिल है।
जलवायु किसे कहते हैं?
दीर्घकालीन समय में वायुमंडलीय पवनो के बदलाव को ही जलवायु कहते हैं । अगर यही प्रक्रिया छोटे अंतराल पर होती है तो उसे मौसम कहा जाता है ।
भारत देश मुख्यतः दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पर आधारित है, यहां से उठने वाली पवने ही पूरे भारत में वर्षा का जरिया बन पाती है ।
भारत में मानसूनी जलवायु:
भारत में मुख्यतः चार ऋतु होती है जिसमें मौसम का आगमन मौसम का लौटना शीतकाल और ग्रीष्म काल शामिल है ।
जून से दिसंबर तक मौसमी हवाएं दक्षिण पश्चिमी के हाई प्रेशर से से उत्तर पूर्व के लो प्रेशर की तरफ बहती है और अपने साथ आद्रता ले जाती है जो मुख्य रूप से भारत में बरसात का कारण बनता है ।
दिसंबर से मई के बीच में भारत में सर्दी ऋतु होती है इस समय मौज में हवाएं उत्तर पूर्व के हाई प्रेशर से दक्षिण पश्चिम के लो प्रेशर की तरफ बहती है ।
भारत की जलवायु के मानसून सिद्धांत:
- थर्मल कांसेप्ट – हेले 1686
- डायनामिक/एयर मास थ्योरी फोन 1951
- जेट स्ट्रीम थ्योरी- पी कोटेश्वर
- मोनेक्स थ्योरी
भारत में मानसून का प्रारंभ:
भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून का प्रारंभ निम्न कारणों से होता है
- उपोषण जेट स्ट्रीम के 2:00 से एक में परिवर्तन होने पर
- 66 डिग्री ईस्ट विषुवत में निम्न दाब 2 क्षेत्र के एक में परिवर्तन होने पर
- मालाबार तट पर पर बने निम्न दाब के आगे बढ़ने पर
राजस्थान में वर्षा कम क्यों होती है?
राजस्थान में कम वर्षा होने का मुख्य कारण यहां की भौगोलिक स्थिति है जिसके निम्न कारण है
- मानसूनी हवाओं का अरावली पर्वतमाला के समांतर बहने के कारण
- अरावली पर्वतमाला कि कम हो जाए जिससे मानसूनी पवनो को आगे बढ़ने से कोई रुकावट नहीं है
- यहां पर पाई जाने वाली तापीय विलोमता के कारण