धारा 370 क्या है ?
धारा 370 भारतीय संविधान में लागू किये गये अनुच्छेद 370 के कानून को कहा जाता है |
आर्टिकल 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा मिलता है जिसके कारण राज्य सरकार कुछ हद तक अपने फैसले लेने और केंद्र सरकार की सभी सुविधा नहीं लगाने के लिए स्वतंत्र है |
जम्मू कश्मीर मे क्यों लगनी पड़ी धारा 370
धारा 370 का इतिहास
भारत की अंग्रेजो से आजादी के समय पाकिस्तान और भारत अलग हो गये | जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राजा हरिसिंह ने जम्मू कश्मीर को स्वतंत्र रखने का फैसला किया, मतलब न पाकिस्तानी न ही भारतीय |
- इसके बाद पाकिस्तान ने कब्ज़ा करने के लिए कबाइलियों के साथ जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया और मुजफ्फराबाद व मीरपुर पर कब्ज़ा कर लिया |
- अपना राज्य जाता देख राजा हरिसिंह ने भारत से मदद मांगी और भारत के साथ विलय का निर्णय लिया |
Dhara 370 किसने लगाई
- भारत के सहयोग निर्णय के साथ ये शर्त थी कि जम्मू और कश्मीर भारत में शामिल हो जिसे राजा हरिसिंह ने स्वीकार किया |
- लेकिन राजा हरिसिंह की मांग थी की जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिले, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु ने स्वीकार किया और dhara 370 बनी |
धारा 370 का किसी ने विरोध नहीं किया ?
भारतीय संविधान के जनक श्री भीवराम अम्बेडकर ने dhara 370 का विरोध किया था लेकिन इसको अस्थाई उपबंध कहकर लागू कर दिया गया जो अभी भी भारतीय संविधान के आर्टिकल 370 में लिखा हुआ है |
धारा 370 हटाने की प्रक्रिया
अनुच्छेद 370 के शुरुआत में इस धारा को अस्थायी बताया गया है तो इसको हटाया जा सकता है |धारा 370 हटाने के लिए अनुच्छेद 370 में दिए गये सभी विशेष अधिकारों को समाप्त करना होगा |
केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से ये धारा हटाई जा सकती है इसको हटाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा से बहुमत से प्रस्ताव पास करवाना होगा फिर उस प्रस्ताव को राज्य से पास करवाना होगा, हाल में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति के अधीन राज्यपाल शासन लागू है |
धारा 370 से क्या विशेष अधिकार जम्मू कश्मीर को मिले है ?
धारा 370 के कारण जम्मू कश्मीर का कानून भारत के अन्य राज्यों से अलग है
- जम्मू कश्मीर का अलग झंडा है
- यहाँ भारत के सुप्रीमकोर्ट के आदेश लागू नहीं होते है
- जम्मू की लड़की भारत के किसी राज्य के लड़के से शादी कर ले तो उसकी नागरिकता जम्मू से समाप्त हो जाती है
- जम्मू की लड़की पाकिस्तान के किसी लड़के से शादी कर ले तो युवक को जम्मू की नागरिकता मिल जाती है
- जम्मू में अन्य राज्य के लोग ज़मीन नहीं ख़रीद सकते हालाकि जम्मू कश्मीर के लोग कही भी जमीन खरीद सकते है
- जम्मू में सरियत कानून लागू है
- कश्मीर के हिन्दू और सिख अल्पसंख्यको को केंद्र से 16 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलता, क्योंकि वहा की सरकार इसपर राजी नहीं है
- जम्मू में शिक्षा का अधिकार लागु नहीं है
- जम्मू में GST लागू नहीं है
- जम्मू कश्मीर में सुचना का अधिकार लागु नहीं होता
- जम्मू कश्मीर में भारत से सिर्फ
- जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है और अन्य राज्य का कार्यकाल 5 साल का होता है
धारा 370 में क्या लिखा है ?
भारत के सविधान के भाग 21 में जम्मू और कश्मीर के लिए अस्थाई संक्रमणकालिन और विशेष उपबंध लिखा गया है |
370 (1) इस सविधान में किसी बात के होते हुए भी –
(क) अनुच्छेद 238 के उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के सबंध में लागू नहीं होंगे;
(ख) उक्त राज्य के लिए विधि बनाने की संसद की शक्ति –
(i) संध सूचि और समवर्ती सूची के उन विषयों तक सीमित होगी जिनको राट्रपति, उस राज्य की सरकार से परामर्श करके, उन विषयों के तत्स्थानी विषय घोषित कर दे जो भारत डोमिनियन में उस राज्य के अधिमिलन को शासित करने वाले अधिमिलन पत्र में ऐसे विषयों के रूप में विनिर्दिष्ट है जिनके संबंध में डोमिनियन विधानमंडल उस राज्य के लिए विधि बना सकता है और
(ii) उक्त सूचियों के विषयों तक सीमित होगी जो राष्ट्रपति उस राज्य की सरकार की सहमति से आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करें |
स्पष्टीकरण: इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए उस राज्य की सरकार से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे राष्ट्रपति से जम्मू कश्मीर के महाराजा की 5 मार्च 1948 की उद्घोषणा के अधीन तत्समय पदस्थ मंत्री परिषद की सलाह पर कार्य करने वाले जम्मू कश्मीर के महाराजा के रूप में तत्सम में मान्यता प्राप्त थी;
(ग) अनुच्छेद 14 इस अनुच्छेद के उपबंध उस राज्य के संबंध में लागू होंगे
(घ) इस संविधान के ऐसे अन्य उपबंध ऐसे अपवादों और उपान्तरणों के अधीन रहते हुए जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करें उस राज्य के संबंध में लागू होंगे
परंतु ऐसा कोई आदेश जो उपखंड (ख) के पैरा (i) में निर्दिष्ट राज्य के अधीन मिलन पत्र में विनिर्दिष्ट विषयों से संबंधित है उस राज्य की सरकार से परामर्श करके ही किया जाएगा अन्यथा नहीं
परंतु यह और कि ऐसा कोई आदेश जो अंतिम पूर्ववर्ती परंतुक में निर्दिष्ट विषयों से भिन्न विषयों से संबंधित है उस सरकार की सहमति से ही किया जाएगा अन्यथा नहीं
(2) यदि खंड (1) के उपखंड (घ) के पैरा (ii) में या उस खंड के उपखंड (घ) के दूसरे परंतु में निर्दिष्ट उस राज्य की सरकार की सहमति उस राज्य का संविधान बनाने के प्रयोजन के लिए संविधान सभा की के बुलाए जाने से पहले दी जाए तो उसे ऐसी संविधान सभा के समक्ष ऐसे विनिश्चय के लिए रखा जाएगा जो वह उस पर करें
(3) इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधो में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा घोषणा कर सकेगा कि वह अनुच्छेद प्रवर्तन में नहीं रहेगा या ऐसे अपवादों और उपांतरणों सहित ही और ऐसी तारीख से, प्रवर्तन में रहेगा, जो है विनिर्दिष्ट करें:
परंतु रास्त्रपति द्वारा ऐसी अधिसूचना निकाले जाने से पहले खंड (2) में निर्दिष्ट उस राज्य की संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक होगी
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