Skip to content
Home > पिता की जायदाद पर बेटा बेटी का बराबर हक़: सुप्रीमकोर्ट हिन्दू उतराधिकारी कानून

पिता की जायदाद पर बेटा बेटी का बराबर हक़: सुप्रीमकोर्ट हिन्दू उतराधिकारी कानून

सुप्रीमकोर्ट ने पिताजी की पैत्रिक सम्पति पर हिन्दू उतराधिकारी अधिनियम कानून के तहत बेटा और बेटी के लिए बराबर हक़ का फैसला सुनाया है |

सुप्रीमकोर्ट ने साफ़ कर दिया है की अपने पिताजी की सम्पति में बेटी का भी बराबर का हक है भले ही उनके पिताजी की मर्त्यु 2005 में कानून लागु होने से पहले हो गयी हो |

लेकिन 20 दिसम्बर 2004 से पहले अगर सम्पति की बिक्री, वसीयत या किसी अन्य कारण से समाप्त कर दी गई है तो यह लागु नहीं होगा

पिता की जायदाद: हिन्दू उतराधिकारी अधिनियम कानून

हिन्दू उतराधिकारी अधिनियम कानून 1956 मैं लाया गया इसका मुख्य उद्देश्य हिंदुओं के पैतृक संपत्ति के बंटवारे को लेकर था ।

मूल-कानून: इस कानून के तहत अगर किसी पिता की मृत्यु बिना वसीयत बनाए हो जाती है तो उसकी संपत्ति पर उसके उत्तराधिकारीयों का हक होगा

संसोधन: इस अधिनियम को 2005 में दोबारा संशोधित किया गया इसका मुख्य उद्देश्य 1956 के कानून में रहे लैंगिक भेदभाव को मिटाना था, बेटा और बेटी को बराबर हक दिया गया

कवरेज: इस कानून में हिंदू धर्म के अंतर्गत हिंदू बौद्ध सीख जैन ब्रह्म समाज वीरशैव लिंगायत प्रार्थना समाज आर्य समाज के अनुयाई भी आते हैं और अन्य ऐसे व्यक्ति जो मुस्लिम क्रिश्चियन पारसी या यहूदी न हो उनको भी इस अधिनियम के तहत जोड़ा गया है ।

इस कानून के तहत हिंदू परिवार की पुत्री जन्म से ही अपने समय के अधिकार से उसी रीती से सहदायक बन जाएगी जैसे पुत्र होता है

सहदायक की संपत्ति में उसे वही अधिकार प्राप्त होंगे जो उसे तब प्राप्त हुए होते जब वह पुत्र होता

हिंदू वारिस संपति में सुप्रीम कोर्ट का नया ऑर्डर 2020

क्योंकि यह नियम 2005 में बन चुका था तो 2020 में इस पर सुप्रीम कोर्ट का दोबारा फैसला सुनाने की नौबत क्यों आई?

प्रकाश बनाम फूलमती 2016 का केस और सुमन सुरपुर बनाम अमन 2018 का केस सोल्व करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्य बेंच का गठन किया था

इस तीन सदस्य बेंच ने 2020 में अब यह फैसला सुनाया है की पिता की मृत्यु 2005 से पहले हो गई हो तो भी बेटी को बराबर का हक मिलेगा उसके हक को वंचित नहीं किया जा सकता ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.