HaldiGhati: हल्दीघाटी, अरावली रेंज की पहाडियों में स्थित एक घाटी है जो उदयपुर राजस्थान में स्थित है | क्योंकि हल्दीघाटी की मिटी का रंग हल्दी के जैसा है इसलिए HaldiGhati कहा जाता है |
खमनोर से बलीचा गांव तक छः किलोमीटर में फैला रणक्षेत्र हल्दीघाटी के नाम से जाना पहचाना जाता है। आज के टाइम पर देखे तो पाली से राजसमन्द के बीच हल्दीघाटी पड़ता है जो उदयपुर शहर से 40 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है |
हल्दीघाटी एक नजर
हल्दीघाटी मेवाड़ और भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के लिए जानी गयी, ये वो जगह है जहा प्रताप ने अपना काफी जीवन यापन किया और अकबर के बीच हुए युद्ध को Haldighati ka Yudh जाना गया|
राणा प्रताप के चारण कवि रामा सांदू ‘झूलणा महाराणा प्रताप सिंह जी रा’ में लिखते हैंः
“महाराणा प्रताप अपने अश्वारोही दल के साथ हल्दीघाटी पहुंचे, परंतु भयंकर रक्तपात खमनौर में हुआ”
हल्दीघाटी अपने गुलाब उत्पाद और मोलेला की कला के लिए भी जाना जाता है। पर्यटन विभाग द्वारा इस कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बहुत जोर दिया जा रहा है |
HaldiGhati ka Yudh (हल्दीघाटी का युद्ध)
हल्दीघाटी का युद्ध जून 1576 में हुआ, जिसमें मेवाड़ के राणा महाराणा प्रताप और मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना का आमना-सामना हुआ था |
राजपूतो और मुगलों के बीच लड़ी गयी इस लडाई की दो तारीखे मिलती है 18 जून और 21 जून 1576, लेकिन युद्ध जिस दिन भी हुआ हो ये सिर्फ 4 घंटे का भयानक नजारा था जिसमे महाराणा प्रताप के शौर्य के किस्से आज 443 बाद भी चलते है |
महाराणा प्रताप को स्थानीय लोग किका नाम से बुलाते थे |
Maharana Pratap in Hindi
महाराणा प्रताप से जुडी जानकारी
महाराणा का जन्म: 9 मई 1949 को
जन्म स्थान: कुम्भलगढ़, राजस्थान (मेवाड़)
माता का नाम: जैवंता बाई
पिता का नाम: उदय सिंह द्वितीय
छोटा भाई: शक्ति सिंह, विक्रम सिंह, जगमाल सिंह
महाराणा प्रताप की पत्नी: महारानी अज्बदे
वंश: सिसोदिया वंशी राजपूत
धर्म: हिन्दू (लेकिन सभी धर्मो को मानने वाले)
घोड़े का नाम: चेतक (चेटक)
मर्त्यु: 19 जनवरी 1597 चावंड मेवाड़ में (अब उदयपुर जिले में है)
महाराणा प्रताप की मर्त्यु पर उनके दुश्मन अकबर के भी आँखों में आसू आ गये थे, इनके जैसा प्रतिदद्वी राजा उन्हें नहीं मिला था |
अकबर का कहना था की Maharana Pratap उनके साथ होते तो वो पूरी दुनिया को भी जीत सकते है |
महाराणा प्रताप के खास सहयोगी:
ये वो सहयोगी है जिनके दम पर महाराणा ने अकबर की विशाल सेना को धुल चटाई थी
चेतक: खास तरीके से तैयार किया घोडा, ये जानवर से ज्यादा युद्ध प्रेमी और महाराणा का वफादार रहा है तभी तो आज इसकी मिशाल दी जाती है
भामाशाह: इन्होने अपनी पूरी सम्पति महाराणा को दे दी थी
भील: इनकी बदोलत मेवाड़ के घने जंगल में छापामार युद्ध तरीके से युद्ध जीते, ये ही इनकी मुख्य सेना थी और सबसे विश्वसनीय थे
महाराणा प्रताप को नमन !!!
ए मायड थारो पूत कठे, वो महाराणा प्रताप कठे