Skip to content
Home > Lease deed in Hindi | किरायेदार एग्रीमेंट

Lease deed in Hindi | किरायेदार एग्रीमेंट

lease deed in hindi

lease deed in hindi: किसी भी प्रॉपर्टी (Building) को अपने मालिकाना हक़ से लम्बे समय तक किराये पर देना ही लीज डीड कहलाता है| Lease Deed ज्यादातर लम्बे समय तक फ़िक्स किराये पर ली जाती है जिसमे रिपेयर और मेन्टेनेन्स का ख़र्चा भी किरायेदार ही उठाता है |

लीज डीड हिंदी में (lease deed in hindi):

भारत में transfer of property act 1882 के सेक्शन 105 के तहत अपनी मर्जी से किसी को अपनी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक़ कुछ समय तक देना ही लीज डीड के अंतर्गत आता है |

Lease Deed का agreement समय कितना होगा, ये मालिक (Lesser) और किरायेदार (Lessee) के उपर निर्भर करेगा, ज्यादातर ये समय 12 महीने से ज्यादा होता है | फिर आगे 5 साल, 10 साल या उससे भी ज्यादा हो सकता है |

कुछ कंडीशन में यह समय 12 महीने से कम भी होता है लेकिन 12 महीने से कम समय में Lease Deed की जगह Rent Deed काम में लिया जाता है |

उदाहरण: जैसे ऑफिस के लिए लम्बे समय तक बिल्डिंग किराये पर लेना, घर किराये पर लेना आदि

Rent Deed (रेंट डीड हिंदी में)

लीज डीड की तरह रेंट डीड होता है लेकिन इसमें किरायेदार के पास सिर्फ कुछ समय का हक़ होता है फिर किराया बदल भी सकता है, रिपेयरिंग का खर्चा मालिक खुद वहन करता है |

उदाहरण: जैसे 1 दिन के लिए गाड़ी किराये पर लेना, मशीन किराये पर लेना या 11 महीने तक घर किराये पर लेना आदि

Lease deed vs rent deed (लीज डीड और रेंट डीड में अंतर)

Lease Deed में समय लम्बा होता है रेंट डीड का समय 11 महीने या उससे कम हो सकता है

लीज डीड में रिपेयरिंग का खर्चा खुद किरायेदार लगाता है लेकिन रेंट डीड में मालिक लगाता है

लीज डीड का एग्रीमेंट तोड़ने पर मालिक पर भारी पेनल्टी लगाई जाती है ये पेनल्टी 12 महीने तक के किराये की भी हो सकती है

Lease deed का यह फायदा है की आपका रेंट फ़िक्स होता है, जितने साल तक आपको बिल्डिंग चाहिए और मालिक के लिए यह फायदा है की उसकी प्रॉपर्टी लम्बे समय तक किराये पर लग जाती है तो बार बार नए किरायेदार ढूढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती है

आपको कौन सा एग्रीमेंट करना चाहिए:

अगर आप अपने बिज़नस के लिए लम्बे समय तक ऑफिस की तलाश कर रहे है तो Lease Deed Hindi आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें आपको किराया फिक्स देना पड़ता है और रोज रोज के ऑफिस बदलने का चक्कर भी नहीं रहता है

लेकिन आपका रहने का समय कम है तो आपको लम्बा एग्रीमेंट करने की जरूरत नहीं है, इसलिए रेंट एग्रीमेंट सही रहेगा |

Lease Deed agreement:

lease deed के एग्रीमेंट में ये लिखा जाता है की यह शॉप (प्रॉपर्टी) इतने समय तक इतने किराये पर मालिक (xyz) द्वारा किरायेदार (abc) को लीज पर दी जाती है, और अगर प्रॉपर्टी कमर्शियल नहीं है तो इसमें कुछ कंडीशन भी जोड़ दी जाती है |

जैसे रेजिडेंशियल में कमर्शियल एक्टिविटी करना मना है या एग्रीमेंट तोड़ने संबधित कंडीशन आदि

और देखे: भू नक्शा राजस्थान https://rajhindi.com/bhu-naksha-rajasthan/

Leave a Reply

Your email address will not be published.