RSHRC JAIPUR: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993) की तर्ज पर राजस्थान सरकार ने 18 जनवरी 1999 को एक अधिसूचना से राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयेाग का गठन किया जो मार्च, 2000 से क्रियाशील हो गया
राजस्थान मानवाधिकार आयोग
राजस्थान मानवाधिकार आयोग एक निगरानी संस्था है जिसका उद्देश्य राजस्थान की जनता के लिए मानव अधिकारों का प्रभावी संरक्षण करना है, इसकी स्थापना 18 जनवरी 1999 को की गयी और स्थापना के समय राज्य मानवाधिकार आयोग राजस्थान के एक अध्यक्ष और चार सदस्य होते थे जिसको 2006 में संसोधित अधिनियम में घटाकर एक अध्यक्ष और दो सदस्य कर दिए गये |
राजस्थान मानवाधिकार आयोग की स्थापना (गठन) | 18 जनवरी 1999 |
राजस्थान राज्य मानव अधिकार का संचालन कब से | मार्च, 2000 से क्रियाशील |
राज्य मानवाधिकार आयोग राजस्थान कुल के सदस्य | 1 अध्यक्ष और 2 सदस्य |
राजस्थान मानवाधिकार आयोग का वर्तमान अध्यक्ष | 1. श्री गोपाल कृष्ण व्यास, माननीय अध्यक्ष (2021 से) 2. श्री महेश गोयल, माननीय सदस्य |
राजस्थान मानवाधिकार आयोग का कार्यकाल | तीन वर्ष या 70 वर्ष (जो भी पहले हो) 2019 में 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष किया गया |
Human Right Act मानवाधिकार सरंक्षण अधिनियम 1993 PDF Download
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में कितने सदस्य होते हैं
एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते है
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय कहाँ है
जयपुर
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना कब हुई
18 जनवरी 1999
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष कौन है
श्री गोपाल कृष्ण व्यास, माननीय अध्यक्ष (2021 से)
राज्य मानवाधिकार आयोग का पता
राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग, एस.एस.ओ. बिल्डिंग, सचिवालय, सी स्कीम, जयपुर – 302005 (राजस्थान), भारत
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश या न्यायधीश होते है |
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है जिसकी सिफारिश समिति में राज्य का मुख्यमंत्री, विधानसभा के अध्यक्ष, गृहमंत्री और विपक्ष के नेता होते है |
SRHRC OFFICIAL WEBSITE: https://rshrc.rajasthan.gov.in/
>> Rajasthan Highcourt Jodhpur Jaipur jankari in Hindi
राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग का मुख्य उद्देश्य:
राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग का मुख्य उद्देश्य राज्य में मानव अधिकारों की रक्षा हेतु एक निगरानी संस्था के रूप में कार्य करना है। 1993 के अधिनियम के अन्तर्गत धारा 2(घ) में मानव अधिकारों को परिभाषित किया गया है और इन न्यायोचित अधिकारों को भारतीय कानून के तहत अदालती आदेश द्वारा लागू कराया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 10 दिसम्बर 1948 में मानव अधिकारों को परिभाषित कर सम्मिलित किया गया है और जिन्हे सख्ती से लागू किया जाना है।
राज्य मानव अधिकार आयोग, मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अन्तर्गत एक स्वशाषी उच्चाधिकार प्राप्त मानव अधिकारों की निगरानी संस्था है। इसके स्वायतता हेतु आयोग के अध्यक्ष एवं नियुक्ति की प्रक्रिया इस प्रकार रखी गई है, जिससे उनके कार्य करने की स्वतंत्रता सुरक्षित रहे, साथ ही उनका कार्यकाल पूर्व में ही निश्चित कर दिया गया है और अधिनियम की धारा 23 के अन्तर्गत वैधानिक गारन्टी प्रदान की गई है और अधिनियम की धारा 33 के अन्तर्गत वित्तीय स्वायतता भी प्रदान की गई है। आयोग का उच्च स्तर आयोग के अध्यक्ष, सदस्य एवं अधिकारीगण के स्तर से परिलक्षित होता है। अन्य आयोगों से भिन्न, आयोग के अध्यक्ष पद पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ही नियुक्त किया जा सकता है और इसी प्रकार, आयोग सचिव राज्य सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी से कम स्तर का अधिकारी नहीं हो सकता। आयोग की अपनी एक अन्वेषण एजेन्सी है, जिसका नेतृत्व ऐसे पुलिस अधिकारी जो महानिरीक्षक पुलिस के पद से कम स्तर का नहीं हो, द्वारा किया जाता है।
आयोग के कार्य क्षेत्र में सभी प्रकार के वे मानव अधिकार आते हैं जिनमें नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं। आयोग हिरासत में हुर्इ मौतों, बलात्कार, उत्पीड़न, पुलिस और जेलों में ढांचागत सुधार, सुधार गृहों, मानसिक अस्पतालों की हालत सुधारने के मामलों पर विशेष ध्यान दे रहा है। समाज के सबसे अधिक कमजोर वर्ग के लोगों के अधिकारों का संरक्षण करने की दृष्टि से, 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को आवश्यक तथा निशुल्क शिक्षा प्रदान करने, गरिमा के साथ जीवन व्यतीत करने, माताओं और बच्चों के कल्याण हेतु प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की, आयोग ने सिफारिशें की हैं। समानता और न्याय का हनन कर, नागरिकों के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों, विस्थापित हुए लोगों की समस्याएं, और भूख के कारण लोगों की मौंतें, बाल श्रमिकों का शोषण, बाल वेश्यावृत्ति, महिलाओं के अधिकारों आदि पर आयोग ने अपना ध्यान केन्द्रित किया है।
Rajasthan rajay Manvidhakar aayog ने शिकायतों की जॉंच के अलावा निम्नलिखित कार्यों को भी अपने हाथ में लिया है: |
• पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने के अधिकार के दुरूपयोग को रोकने के लिए दिशा-निर्देश। |
• जिला मुख्यालय में‘ ‘मानव अधिकार प्रकोष्ठक’’ की स्थापना। |
• हिरासत में हुर्इ मौतों, बलात्कार और मानवीय उत्पीड़न को रोकने के उपाय। |
• व्यवस्थागत सुधार (1)पुलिस (2)जेल (3)नजर बन्दी केन्द्र। |
• माताओं में अल्प रक्तता और बच्चों में जन्मजात मानसिक अपंगता की रोकथाम। |
• एचआर्इवी/एड्स से पीड़ित लोगों के मानव अधिकार। |
• मानसिक अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधार। |
• हाथ से मैल ढोने की प्रथा समाप्त करने के लिए प्रयास। |
• गैर-अधिसूचित और खानाबदोश जनजातियों के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए सिफारिशें करना। |
• जनस्वास्थ्य प्रदूषण नियंत्रण, खाद्य पदार्थो में मिलावट की रोकथाम, औषधियों में मिलावट व अवधि पार औषधियों पर रोक। |
• धर्म, जाति, उपजाति आदि के बहिष्कार के मामलात। |
• मानव अधिकारों की शिक्षा का प्रसार और अधिकारों के प्रति जागरूकता में वृद्धि। |
Rajasthan manvadhikar aayog adhyaksh list
क्र.सं. | नाम | पदनाम | पदधारणा की तिथि | पदछोड़ने की तिथि |
---|---|---|---|---|
1 | जस्टिस सुश्री कान्ता भटनागर | अध्यक्ष | 23.03.2000 | 11.08.2000 |
2 | जस्टिस एस. सगीर अहमद | अध्यक्ष | 16.02.2001 | 03.06.2004 |
3 | जस्टिस एन. के. जैन | अध्यक्ष | 16.07.2005 | 15.07.2010 |
4 | जस्टिस प्रकाश टाटिया | सदस्य | 11.03.2016 | 25.11.2019 |
5 | जस्टिस अमर सिंह गोदारा | सदस्य | 07.07.2000 | 06.07.2005 |
6 | श्री आर.के. आकोदिया | सदस्य | 25.03.2000 | 24.03.2005 |
7 | श्री बी.एल. जोशी | सदस्य | 25.03.2000 | 31.03.2004 |
8 | प्रो. आलमशाह खान | सदस्य | 24.03.2000 | 16.05.2003 |
9 | श्री नमो नारायण मीणा | सदस्य | 11.09.2003 | 23.03.2004 |
10 | श्री धर्म सिंह मीणा | सदस्य | 07.07.2005 | 06.07.2010 |
11 | जस्टिस जगत सिंह | सदस्य | 10.10.2005 | 09.10.2010 |
12 | श्री पुखराज सीरवी | सदस्य | 15.04.2004 | 13.04.2011 |
13 | श्री एच आर कुरी | सदस्य | 01.09.2011 | 31.08.2016 |
14 | डॉ एम.के. देवराजन | सदस्य | 01.09.2011 | 31.08.2016 |
15 | जस्टिस महेश चन्द्र शर्मा | सदस्य | 03.10.2018 | 29.04.2021 |
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