सूरत: 25 अप्रैल 2019 को सूरत के तक्षशिला नाम के कॉम्प्लेक्स की चौथी मंजिल पर शोर्ट सर्किट से आग लग गयी जिसमे एक कोचिंग पढ़ रहे 15 बच्चो की मौत हो गई |
आये दिन ऐसे हादसे होते है, किसीको मीडिया कवरेज ज्यादा मिलता है किसीको कम, हालाँकि राज्य सरकार ने परिवारों को 4 लाख रूपये देने की घोषणा की है |
इस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी गहरी सवेदना व्यक्त की है और स्टेटे govt से हर संभव मदद की आशा की है |
लेकिन असली सवाल ये है की कब तक इसे हादसे होते रहेंगे और सरकारे घायलों और मृतकों को मुवावजा देके रुक जाएगी |
क्या ये सवाल नहीं उठाना चाहिए की इनके लिए कौन जिम्मेदार है और जिम्मेदार के खिलाफ क्या होना चाहिए, सिर्फ जिम्मेदारी ठहराने से कुछ नहीं होता जब तक उसको जिम्मेदारी का अहसास नहीं होगा |
जहा तक मुझे लगता है जनता खुद भी इसकी जिम्मेदार है, ये नहीं कह सकते की बच्चों की ग़लती ? लेकिन गलत ये है की जो भवन निर्माता है उसने बेसिक और एमरजेंसी फैसिलिटी का ध्यान क्यों नहीं रखा ?
आज भी अगर कोई भवन निर्माण करवाता है तो GOVT द्वारा जारी दिशानिर्देश बहुत कम लोग अपनी मर्जी से मानते है, जैसे
- MAIN हाईवे से बिल्डिंग कितनी दूर हो
- चारो तरफ कितना सेटबैक रखना है
- ड्रेनेज और SOLID WASTE MANAGEMENT
- अधिकतम ऊंचाई क्या हो सकती है आपकी जगह के हिसाब से
- अगर पब्लिक बिल्डिंग है तो इमरजेंसी सुविधा कितनी जगह लगाई गयी है
- इमरजेंसी डोर, अग्निसमन उपकरण, पीने का पानी, फ्लोर के बीच उतरने और चढ़ने के रास्ते का साइज़, बिल्डिंग की अधिकतम लोड कैपेसिटी इत्यादि
अगर एसा कोई नहीं भी करता तो कौन कौन उसको गलत कहने की हिमत रखते है, हादसा होने पर ज्यादातर मदद करते है या करना चाहते है लेकिन हादसा होने से कैसे बचे इसका ख्याल कोई नहीं रखता |
पुलिस और प्रशासन अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते है लेकिन सभी लोगो को इसलिए तो जेल में नहीं ठूस सकते की उन्होंने लॉ नहीं माना, ऐसा अगर करते भी है तो हमारे देश की जेल भर जाएगी |
और फिर सवाल प्रशासन पर भी उठ ही जाता है की कुछ पैसे के लिए अपना ईमान खत्म कर देते है, एक सच्चा और ईमानदार लड़का, प्रदेश की सेवा के लिए पेपर पास करके पुलिस ज्वाइन करता है लेकिन ऐसा क्या होता है उसके साथ की डिपार्टमेंट में आते ही वो 100 50 रूपये की रिश्वत लेने लग जाता है |
यहाँ ये बातें इसलिए जरूरी है क्योंकि आखिर मौके का निरीक्षण इन्ही लोगो के हाथ में है |
जरूरी नहीं की सिर्फ हमारी पुलिस और सरकार नियम बनाए और हम उनको अनदेखा करके अपनी प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ाते रहे, यहाँ कुछ उदाहरणों से आप समझ सकते है
- हम अपने प्लाट में सेटबैक नहीं रखना चाहते क्योंकि इससे हमारी प्रॉपर्टी का साइज़ कम हो जायेगा
- रास्ते की side का फ्री एरिये को अपने बालकनी में बदलना चाहते है क्योंकि इससे हमारी प्रॉपर्टी का साइज़ बढ़ जायेगा, इससे बिजली विभाग को कोई दिक्कत आती है तो वो उनकी जिम्मेदारी हमें क्या लेना देना
- हमारे घर का पानी बाहर खुली सड़क पर जायेगा, लेकिन किसी कारण से PHED से पानी नहीं आया तो हम धरना कर देते है
- बिजली तो हमारे बाप की जागीर है क्योंकि हम यूनिट के पैसे दे देते है
- एमरजेंसी जैसी सुविधा तो सिर्फ सरकारी चोचला है, प्राइवेट में भी भला कोई एमरजेंसी डोर और अग्निसमन लगाता है
अब 130 करोड़ की आबादी में जनता खुद समझदार नहीं होगी तब तक मुझे नहीं लगता कोई भी एजेंसी काम कर पाएगी और सही ढंग से करेगी, SURAT HADSA सिर्फ 2 4 दिन में सुर्खियों से चला जायेगा फिर सब मोह माया ………..
धन्यवाद्